West Bengal: एक सीनियर सिटीजन को भी सम्मान से रहने का पूरा हक होता है। लेकिन जब व्यवस्था किसी के साथ अजीबोगरीब बर्ताव करे तो यह सही नहीं है। ऐसा ही कुछ पश्चिम बंगाल के बुजुर्गों के साथ हुआ। जिन्हें बुढ़ापे में सरकारी नौकरी का ऑफर लेटर मिला। उन्हें जॉब लेटर नहीं बल्कि रिटायरमेंट की जरूरत है। दरअसल हुगली में फुर्फूरा शरीफ के रहने वाले तुषार बनर्जी को पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन से हाल ही में एक ऑफर लेटर मिला है। जिसमें उन्हें सरकारी स्कूल के टीचर के पद के रूप में नियुक्त किया गया। अपॉइंटमेंट लेटर मिलने के बाद वह खुश होने की बजाय दुखी हो गए। क्योंकि इस उम्र में शिक्षा विभाग ने उनके दिलों दिमाग पर लगे जख्म हरा कर दिया है।
1990 के दशक में जॉब के लिए अप्लाई-
दरअसल तुषार बनर्जी ने 1990 के दशक में इस जॉब के लिए अप्लाई किया था। शर्तें और नियम में पूरे करने के बावजूद नौकरी नहीं मिली। जिसके बाद से कई लोग 1983 में अदालत गए। अदालत कार्रवाई के बाद हुगली के साथ विभाग ने 66 लोगों के नाम नौकरी का ऑफर लेटर भेजा। इस लिस्ट में तीन लोग अब इस दुनिया में ही नहीं है। बाकी लोगों का कहना है कि उन्हें यह पत्र नहीं बल्कि पेंशन और अन्य चीजों का भुगतान मिलना चाहिए, जो उन सभी का वाजिब हक है।
हुगली जिला प्राथमिक शिक्षा बोर्ड-
समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मामले को देखते हुए हुगली जिला प्राथमिक शिक्षा बोर्ड की अध्यक्षता शिल्पा नंदी ने सफाई देते हुए कहा है कि यह हैरान करने वाली स्थिति इसलिए हुई है। क्योंकि दस्तावेजों में अभ्यर्थियों के पता और नाम लिखा था, उम्र नहीं लिखी थी। क्योंकि कोलकाता हाई कोर्ट के दिसंबर 2023 के आदेश में लिखा कि सभी को शिक्षक माना जाना चाहिए। इसलिए हमें यह कार्यवाही पूरी करनी होगी।
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नियुक्ति पत्र भेजना जरूरी-
अदालत ने सभी को शिक्षक माना जाने का आदेश दिया। इसीलिए नियुक्ति पत्र भेजना जरूरी था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब यह लोग कोर्ट गए थे, तब उनकी उम्र 30 से 36 साल की और अब कोई 71 साल का तो कोई 76 साल का है। ऐसे में सबको इंतजार है कि कोर्ट के आदेश पर उन्हें जल्द से जल्द सभी आर्थिक हित लाभ मिले जिसके वह हकदार हैं।
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