इंटरनेट पर रविवार शाम से कुछ खबरें वायरल हैं कि रालोद(राष्ट्रीय लोकदल) अध्यक्ष जयंत चौधरी के चार विधायक सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के संपर्क में है और जयंत के साथ खेला हो सकता है, यानी कि उनकी पार्टी अब टूट सकती है। कुछ मीडिया चैनलों ने भी ये उड़ती-उड़ती खबर चलाई है।
बाहर से देखने में आपको लग सकता है कि सच में ऐसा हुआ तो जयंत के साथ खेला हो जाएगा लेकिन असल में ऐसा नहीं है। खेला तो अखिलेश के साथ होना था और वो जयंत सही समय पर कर चुके हैं।
रही बात जिन चार विधायकों की जो अखिलेश यादव के संपर्क में बताए जा रहे हैं, इनमें से तीन असल में सपा के ही कैंडिडेट थे जिन्हें पार्टी ने गठबंधन के दौरान रालोद के चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतारा था। इसलिए 4 विधायक अखिलेश के संपर्क में होना और पाला बदलने की बात करना कहीं मेल खाती नहीं दिख रही है। रालोद के मुस्लिम विधायक भी पार्टी के भाजपा से हाथ मिलाने के बाद सपा के साथ नहीं जाएंगे ऐसे में चार का आंकड़ा इस सूचना के अफवाह होने की पुष्टि भी करता है।
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इस वक्त यूपी विधानसभा में रालोद के 9 विधायक हैं जिनमें छपरौली से अजय कुमार, पुरकाजी से अनिल कुमार, थानाभवन से अशरफ अली, शामली से प्रसन्न चौधरी, शिवालखास से गुलाम मोहम्मद, मीरापुर से चंदन चौहान, सादाबाद-हाथरस से प्रदीप सिंह गुड्डू, बुढ़ाना से राजपाल बालियान, खातौली से मदन भैया हैं।
इनमें से तीन विधायक सपा सदस्य हैं, जो चंदन चौहान, गुलाम मोहमम्द और अनिल कुमार हैं। ऐसे में सपा-रालोद गठबंधन अब जयंत के पाला बदल लेने के बाद वैसे भी खत्म होने की कगार पर है, अब अगर अखिलेश के विधायक उसके संपर्क में है तो रालोद को उससे कोई खासा फर्क नहीं पड़ता है, वो इसके लिए पहले से ही तैयार हैं। लेकिन हमारे सूत्रों के अनुसार इनमें से भी कोई एक-आद ही विधायक पाला बदल सकता है, अन्यों का ऐसा कोई मूड नजर नहीं आ रहा है।
जयंत चौधरी ने अखिलेश के साथ पहले ही खेला कर दिया है अब ये 4 विधायक कुछ भी करें पश्चिमी उत्तरप्रदेश में इससे किसी पर कोई असर नहीं होगा। असर न हो इसलिए ही सपा-रालोद गठबंधन तोड़ा गया है क्योंकि अखिलेश लोकसभा चुनाव में रालोद को 7 सीटें देने का दावा तो कर रहे थे लेकिन मुख्य सीटों पर वो अपना कैंडिडेट देना चाहते थे। रालोद को वो पश्चिम की मुख्य सीटों से तो दूर कर ही रहे थे साथ में 4 कैंडिडेट अपने रालोद के चिन्ह पर उतारने की तैयारी भी कर रहे थे। जिसे स्वीकार न करते हुए ही रालोद ने बीजेपी के साथ जाना उचित समझा।
हालांकि हमारे अनुसार कोई एक-आद विधायक इधर उधर हो सकता है अगर हुआ तो, नहीं तो फिलहाल रालोद के सभी विधायक उसी के खेमे में रहने कि उम्मीद नजर आ रही है। चाहे वो सपा के नेता रालोद की टीकट पर लड़कर विधायक बने हो या रालोद के अपने चहरे हों।
हालांकि अभी ये अभी पुख्ता नहीं है कि ये चार विधायक अखिलेश के संपर्क में है। मीडिया केवल सूत्रों के हवाले से ये खबरें चला रहा है। ऐसा जरूरी भी नहीं है कि ऐसा होने जा रहा है, लेकिन ऐसा हो भी तो भी पश्चिमी उत्तरप्रदेश इसके लिए पहले से तैयार है, बाकि देश को लग सकता है कि ये खेला हो गया।