राज्यसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में बीजेपी की ओर से आठवें प्रत्याशी के रूप में संजय सेठ को मैदान में उतारा गया है। वहीं सपा की ओर से तीन प्रत्याशी मैदान में हैं, यानी कि प्रदेश में राज्यसभा की कुल 10 सीटों के लिए 11 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं। जिनमें भाजपा से सात और सपा से दो प्रत्याशीयों का जीतना तय है। लेकिन असली पेंच फसा है, बीजेपी के आठवें प्रत्याशी संजय सेठ और सपा के तीसरे प्रत्याशी आलोक रंजन के बीच। ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने कमर कस ली है। जिसे लेकर सुबे की सियासत गरमा गई। आखिर यह संजय सेठ कौन, जिनके मैदान में उतरने से सियासी पारा गर्म हो गया है।
भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ कौन-
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ एक प्रतिष्ठित उद्योगपति हैं। वह 2019 में बीजेपी के सदस्य बने। इसके पहले संजय सेठ सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबियों में से एक रहे थे। बाद में अखिलेश यादव के भी सिपेसलार के रूप में उनकी गिनती की जाती थी। 2019 में बीजेपी में जाने से पहले उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद भाजपा ने संजय सेठ की खाली हुई सीट पर ही उनको वापस से राज्यसभा भेजा था।
बीजेपी को भरोसा दिलाया-
वह 2016 से लेकर 2022 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। हालांकि 2022 में कार्यकाल खत्म होने के बाद संजय सेठ को भाजपा ने दोबारा से राज्यसभा में नहीं भेजा। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उन पर दाव खेला जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि संजय सेठ ने बीजेपी को भरोसा दिलाया है कि वह अपने जीत के लिए वोटो का जुगाड़ करेंगे। इसके बाद पार्टी ने उन्हें अपने आठवें प्रत्याशी के रूप में उतारा। ध्यान देने वाली बात यह है कि जब तक बीजेपी ने आठवां प्रत्याशी नहीं उतारा था, तब तक उसके सातों और सपा के तीनों उम्मीदवारों की जीत लगभग तय थी।
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296 विधायकों के वोटों की जरूरत-
लेकिन आठवें प्रत्याशी संजय सेठ के मैदान में उतरने से पूरा खेल बदल चुका है। दरअसल विधानसभा में बीजेपी के 252 विधायक हैं। जबकि बाकी 34 विधायक उनके सहयोगी पार्टियों के हैं। दो विधायक राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के भी हैं। यह समय-समय पर सरकार के साथ ही खड़े नजर आए हैं। अगर वह इन्हें भी जोड़ लिए तो बीजेपी के पास 288 विधायकों का समर्थन है। लेकिन बीजेपी को आठवें को उम्मीदवार जीताने के लिए 296 विधायकों के वोटों की जरूरत पड़ेगी। इसी पर सपा को अपने तीनों उम्मीदवारों को जीताने के लिए 111 वोटो की जरूरत है। सपा के पास अपने 108 विधायक है कांग्रेस के दो और बसपा का एक विधायक हैं।
विधायक इरफान सोलंकी जेल में-
लेकिन यहां दिक्कत है कि सपा विधायक इरफान सोलंकी जेल में है और वह वोट नहीं डाल सकते। वहीं सपा के एक और विधायक पल्लवी रंजन ने भी वोट देने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा बसपा के एक विधायक का वोट भी सपा उम्मीदवार को मिलने की संभावना न के बराबर ही है। इस तरह से सपा के पास 108 विधायकों का समर्थन ही मिलता दिख रहा है। ऐसे में क्रॉस वोटिंग के पूरे आसार हैं। सपा के कई विधायकों का बीजेपी के पाले में जाना तय माना जा रहा है। वोटिंग से ठीक पहले ही कुछ विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। समाजवादी पार्टी के विधायक मनोज पांडे ने पद से इस्तीफा दिया।
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