सोमवार को केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का नोटिफिकेशन जारी कर इसे लागू कर दिया गया है। इस कानून के मुताबिक, 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक लोगों को भारत के नागरिकता दी जा सकेगी। ऐसा कहा जा रहा है कि इस कानून के लागू होने के बाद एंपावर्ड कमेटी बनाई जाएगी, जो कि हर जिले में काम करने वाली है। यह कमेटी तय करेगी कि आवेदन करने वाले को नागरिकता देनी चाहिए या फिर नहीं। कहा जा रहा है कि इस कानून के लागू होने के बाद से ही अब अंपायर कमेटी हर जिले में काम करेगी।
ऑनलाइन भरने का प्रावधान-
इसमें कुछ विशेषज्ञ सदस्य शामिल होंगे और नागरिकता लेने के लिए आवेदन करने वाले को इन सदस्यों के सामने खुद ही उपस्थित होना होगा। सरकार के द्वारा CAA के तहत एक पोर्टल भी बनाया गया है। जिस पर आप जाकर आवेदन कर सकते हैं। सरकार के द्वारा जारी किए गए फॉर्म को ऑनलाइन भरने का प्रावधान किया गया है, यानी अगर आप भारत की नागरिकता चाहते हैं तो इसके लिए आप ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं। कमेटियों को प्रदेश के स्तर पर बनाया जाएगा। प्रदेश स्तर पर डायरेक्ट सेंसस इस प्रक्रिया की अगुवाई करेंगे।
Look at the composition of State / UT level ‘Empowered Committee’ which will scrutinise the applications and grant Citizenship under CAA, 2019.
Lopsided, five representatives of the Centre Govt. Just one representative of the State Govt.
Long live federalism !! https://t.co/jVZ0aLeg0C pic.twitter.com/t0HS4Q6B8A
— Arvind Gunasekar (@arvindgunasekar) March 11, 2024
कमेटी का गठन-
इस कमेटी में इंटेलिजेंस ब्यूरो के डिप्टी सेक्रेटरी स्टार के अधिकारी, एफआरआरओ के अधिकारी, स्टेट इनफॉरमेशन अफ्सर, राज्य केंद्र शासित प्रदेश का पोस्टमास्टर जनरल होगा। इसी तरह से जिला स्तर पर भी एंपावर्ड कमेटी का गठन किया जाएगा जो कि अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी। जिला स्तर पर आवेदकों का वेरिफिकेशन किया जाएगा। जिन्हें भारतीयता की निष्ठा के प्रति एक विशिष्ट फॉर्म भी भरना होगा। जिला स्तर पर जो भी अंपायर कमेटी बनाई जाएगी, वह सुनिश्चित करेगी कि आवेदन करने वाले को भारतीय नागरिक की जानी चाहिए या नहीं।
एंपावर्ड कमेटी को अधिकार-
इस नोटिफिकेशन में महत्वपूर्ण बात यह है कि इस एंपावर्ड कमेटी को जिला स्तर पर ही अधिकार होगा कि आवेदकों को भारतीय नागरिकता दी जाए या फिर नहीं। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने का कानून में संशोधन किया था। नागरिकता कानून में संशोधन किया था। जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यको जिनमें हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बुद्ध और पारसी को जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे, उन्हे नागरिकता देने का प्रावधान है।
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अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में-
इन नियमों के मुताबिक नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में होगा। साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने का कानून में संशोधन किया था। लेकिन कोरोना काल की वजह से इसमें देरी हो गई। पर अब इसे कानून की शक्ल मिल चुकी है यानी इसे पारित कर दिया गया है। इस कानून के लेकर भी देश में सियासी घमासान छिड़ गया है। विपक्ष के द्वारा इस कानून को लागू करना एक चुनावी स्टंट कहा जा रहा है।
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