लोकसभा चुनाव 2024 के आगाज से पहले मायावती को अहम खिलाड़ी माना जा रहा था, कहा जा रहा था कि अगर मायावती की पार्टी बसपा (बहुजन समाज पार्टी) इंडिया गठबंधन (कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का गठबंधन) में आ जाती है तो ये उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों से लेकर पास के अन्य राज्यों में भी बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ा मायावती चुनावों से गायब होती गई और इंडिया गठबंधन में उत्तरप्रदेश में बड़े दलों में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दल ही रह गए। कहा जा रहा था कि अगर मायावती का साथ होता तो ये गठबंधन 80 लोकसभा सीटों वाले इस सूबे में बीजेपी के रथ को 40 पर ही थामे रखने में सक्षम हो सकता था। लेकिन मायावती ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया बीजेपी के खिलाफ पर इंडिया गठबंधन से दूरी बनाते हुए।
क्या मायावती को है ईडी और सीबीआई का डर?
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा और दलित समाज का बड़ा चेहरा मायवाती के बारे में बीते कुछ समय से अफवाह है कि वो बीजेपी के दबाव में खुलकर चुनाव नहीं लड़ रही हैं। कहा ये भी जा रहा है कि उनकी फाईल बीजेपी ने तैयार कर रखी है, अगर मायावती उनके खिलाफ जाती है तो वो ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह जेल में डाल सकती है। हालांकि ये सिर्फ बातें हैं इनकी कोई पुष्टी नहीं है लेकिन दो बातें इस तरफ इशारा भी करती हैं कि हो सकता है मायावती सच में डरी हुई हैं।
मायावती के डरे होने की दो वजह-
दो बड़ी वजहें हैं जिनसे कहा जा सकता है कि बहनजी(मायावती) डरी हुई हैं, पहली वजह उनका राहुल गांधी और अखिलेश वाली इंडिया गठबंधन के साथ न आना। क्योंकि सूत्रों के अनुसार मायावती को सोनिया गांधी ने गठबंधन की सरकार बनने पर प्रधानमंत्री बनने का ऑफर भी दे दिया था लेकिन मायावती ने हां नहीं भरी। दूसरी वजह है मायावती के भतीजे आकाश आंनद, जिन्हें मायावती ने अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी और अपनी पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेट नियुक्त किया था। इस पद के बाद आकाश आनंद काफी मुखर होकर चुनावी रैलियों में बीजेपी के खिलाफ बोलते हुए देखे जा सकते थे लेकिन इन बयानों के कुछ ही दिनों बाद मायावती ने उन्हें प्रचार से वापस घर बुला लिया। उनसे पद भी छीन लिया और कहा कि वो अभी राजनीति में अपरिपक्व हैं। लेकिन आकाश आनंद जिस तरह दहाड़ रहे थे उससे कहीं भी उनमें अपरिपक्वता नज़र नहीं आ रही थी। इसी लिए लोगों का मानना है कि मायावती ने बीजेपी के कहने पर आकाश आनंद को वापस बुलाने का फैसला किया है।
मायावती की चुप्पी का फायदा बीजेपी को या कांग्रेस को?
मायावती ने लोकसभा चुनाव 2024 में एक तरह से चुप्पी साध रखी है उनकी इस चुप्पी का फायदा कांग्रेस के इंडिया गठबंधन को होगा या फिर बीजेपी उनका वोटबैंक अपने वोटबैंक में मिला रही है जैसा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में होता आया है। दरअसल चुनावों की शुरुआती गणित में मायावती की चुप्पी बीजेपी को फायदा पहुंचाती दिख रही थी, कहा जा रहा था कि बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए मायावती खुलकर चुनाव नहीं लड़ रही हैं लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ा और बीजेपी के कुछ नेताओं द्वारा बाबा सहाब का बनाया संविधान बदलने की बात सामने आई तो दलित समाज के कुछ हिस्से का बीजेपी से मोह भंग होने लगा था, जिसके बाद बीजेपी के बड़े नेताओं प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का बयान सामने आए उन्होंने मंच से कहा कि संविधान में कोई बदलाव नहीं होगा। लेकिन माना फिर भी जा रहा है कि संविधान बदलने की बात से दलितों में शुरु हुई टूट कम होने का नाम नहीं ले रही है और वो राहुल गांधी को एक विकल्प के रुप में देख रहे हैं। हालांकि इन बातों में कितनी सच्चाई है इस बात का फैसला चार जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ हो जाएगा।
