Agniveer: संसद में लगातार अग्निपथ योजना की विपक्ष द्वारा आलोचना की जा रही थी, जिसके बाद भाजपा शासित राज्यों ने अग्निवीरों को उनकी सेवा के बाद नौकरी में आरक्षण देने की योजना की घोषणा कर दी है। इस घोषणा का उद्देश्य केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना का समर्थन करना है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घोषणा करते हुए कहा कि राज्य सरकार वनरक्षकों और राज्य पुलिस की भर्ती में अग्निवीरों के लिए आरक्षण देगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री कार्यलय की ओर से एक बयान जारी किया गया।
राजस्थान सरकार-
जिसमें कहा गया कि राजस्थान सरकार ने देशभक्ति और समर्पण की भावना से देश की सीमा की रक्षा करने वाले अग्निवीरों के लिए जेल प्रहरी, वनरक्षक और राज्य पुलिस की भर्तियों में आरक्षण का प्रावधान किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शुक्रवार को कहा था, कि देश की सेवा करके लौटने वाले अग्निवीरों को यूपी पुलिस और पीएसी बल में आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन सेवाओं में अग्निवीरों के लिए आरक्षण के प्रतिशत के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है।
अरुणाचल प्रदेश की सरकार-
वहीं अरुणाचल प्रदेश की सरकार ने भी घोषणा करते हुए अग्निवीरों के रूप में भर्ती किए गए, स्थानीय युवाओं को आरक्षण देने का ऐलान किया है। अरुणाचल प्रदेश के रिटायर्ड अग्निवीरों को अरुणाचल प्रदेश पुलिस, आपातकालीन अग्निशमन सेवाओं और एपी बटालियन के लिए भर्ती में आरक्षण दिया जाएगा। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री का कहना है कि यह परिवर्तनकारी पहल अरुणाचल प्रदेश के युवाओं को हमारे देश की सेवा के लिए सक्षम बनाएगी।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री-
इन सभी राज्यों के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी कहा है कि उनकी सरकार सशस्त्र बल और पुलिस की भर्ती में अग्नि वीरों को कोटा देगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सशस्त्र बलों में सेवा देने के बाद लौटने पर अग्निवीरों को उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अग्निवीरों को राज्य की अलग-अलग सरकारी सेवाओं में आरक्षण और प्राथमिकता देने की योजना बना रही है और इसे जल्द ही शुरू किया जाएगा।
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आलोचना-
हालांकि यह फैसला तब लिया गया है जब विपक्ष द्वारा संसद में लगातार इस योजना पर सवाल उठाए गए। इसके साथ ही विपक्ष ने इस योजना की बहुत आलोचना भी की। विपक्ष का कहना है कि यह योजना युवाओं के लिए सही नहीं है क्योंकि यह पर्मानेंट नहीं होगी और यह बी आरोप लगाया गया, कि शहीद हुए अग्नीवीरों के परिवार को सही मदद नहीं दी जा रही है। इस आलोचना के बाद केंद्र शासित राज्यों द्वारा यह फैसला लिया गया है।
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