Nirmala Sitharaman: सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जुड़े चुनावी बॉन्ड मामले की जांच पर रोक लगा दी है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में सीतारमण, कर्नाटक बीजेपी प्रमुख विजेंद्र और अन्य से जुड़ी जांच पर अंतिम रोक जारी की है। न्यायमूर्ति की एकल पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 286 के तहत, जो जबरन वसूली से संबंधित है, कुछ प्रमुख तत्व मौजूद होने चाहिए। जिसमें प्रत्यक्ष धमकी और प्रभावित व्यक्ति की ओर से शिकायत शामिल होनी चाहिए।
FIR अब बंद (Nirmala Sitharaman)-
कर्नाटक भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नलिन कुमार कतील के खिलाफ चल रही जांच पर भी अंतिम रोक लगा दी गई है, जो की चुनावी बांड के नाम पर जबरन वसूली के मामले में शामिल थे। इसकी अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होनी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ दर्ज की गई FIR अब बंद हो चुकी है। यह एफआईआर चुनावी बॉन्ड योजना से जुड़ी एक शिकायत के बाद दर्ज की गई थी। अदालत के निर्देश के बाद शनिवार को मामला दर्ज किया गया, जिसमें जबरण वसूली के गंभीर आरोप लगाए गए। इसमें भारतीय दंड संहिता की गई धाराओं के तहत आरोप शामिल है।
क्या-क्या लगाए गए थे आरोप-
विशेष रूप से 384 जबरन वसूली के लिए सजा, 120बी आपराधिक षडयंत्र और 34 साक्षा इरादा शामिल है। कर्नाटक भाजपा प्रमुख बी वाई विजेंद्र और पार्टी नेता नरेंद्र कुमार कतील का नाम भी एफआईआर में दर्ज है। जन अधिकार संघर्ष परिषद के अध्यक्ष ने शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने आरोप लगाया था, कि आरोपियों ने चुनावी बॉन्ड की जनरल वसूली की और दावा किया था, कि उन्हें 8,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का फायदा हुआ। इनमें निर्मला सीतारमण पर ईडी के अधिकारियों की गुप्त तरीके से व्यापक वित्तीय सहायता की सुविधा देने का भी आरोप लगाया था।
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जबरन वसूली का पूरा रैकेट-
अय्यर ने यह भी आरोप लगाया था, कि बीजेपी सांसद ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर दूसरों के लाभ के लिए हजारों करोड़ रुपए का घपला किया है। चुनावी में जबरन वसूली का पूरा रैकेट अलग-अलग स्तर पर भाजपा पदाधिकारी की मिलिभगत है। वहीं न्यायालय ने फरवरी में चुनावी बॉन्ड को संवैधानिक घोषित करते हुए कहा था, कि यह संविधान द्वारा प्रदत सूचना के अधिकार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। चुनाव बॉन्ड वचन पत्र और ब्याज मुक्त बैंकिंग उपकरणों की तरह संचालित होते हैं। भारत में पंजीकृत कोई भी भारतीय नागरिक या संगठन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित किए जाने वाले ग्राहकों के विनियमों का पालन करके इनको खरीद सकता है।
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