What Happens After Death: सदियों से लोगों के मन में यह सवाल आता है, कि आखिर मरने के बाद क्या होता है, मरने के बाद जीवन कैसा होता है। यह जानने के लिए हर किसी के मन में उत्सुकता होती है। यह उत्सुकता इस बात को लेकर है, कि आखिर में मृत्यु के बाद होता क्या है। सिद्धांतों से लेकर हाल ही में हुई, वैज्ञानिक प्रगति तक के सवाल धीरे-धीरे विकसित होते रहते हैं। हाल ही में अमेरिका के क्रिस लैगन ने यह दावा किया है, कि उनका IQ दुनिया में सबसे ज्यादा है। वह आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग से भी ज्यादा है। उनका IQ 190 से 210 है। वही आइंस्टीन का आईक्यू करीब 160 तक था। लैगन का दावा है, कि मरना जीवन का अंत नहीं है, मरने के बाद भी एक दुनिया है।

कॉग्निटिव थियोरी मॉडल ऑफ़ यूनिवर्स(What Happens After Death)-
लैगन को कॉग्निटिव थियोरी मॉडल ऑफ़ यूनिवर्स के लिए जाना जाता है, जिसके चलते वह रियलिटी को सेल्फ सिमुलेशन मानते हैं। वह गणित के दम पर भगवान और दूसरी दुनिया के होने का दावा करते हैं। उनका कहना है, कि मौत सिर्फ दूसरे डाइमेंशन में जाने का एक ज़रिया है। एक पॉडकास्ट में इंटरव्यू देते हुए उन्होंने कहा था, की मौत सिर्फ फिजिकल बॉडी को त्यागना होता है। इसका यह मतलब नहीं होता, कि इंसान का अस्तित्व ही खत्म हो गया है। मरने का मतलब होता है कि आपका अपने शरीर से संबंध खत्म हो गया है। जब आप इस सच से निकलते हैं, तो दूसरे सच में लौटते हैं।

मरने के बाद की स्थिति(What Happens After Death)-
आपको दूसरा शरीर मिल जाता है, जिसमें आप कुछ वक्त और रहते हैं। लैगन का मानना है, कि यह पुनर्जन्म जैसा नहीं बल्कि एक बड़े सिमुलेशन का हिस्सा होने जैसा है। लैगन ने अपने सिद्धांत में यह भी कहा है, कि मरने के बाद की स्थिति किसी बड़े सुपरकंप्यूटर में होने जैसी होती है। वहां सब कुछ आपके आसपास होता है। लेकिन असल में घटनाएं घटती नहीं है। उनका मानना है, कि यह स्थिति भौतिकता (Physicality) से परे एक सच और मुश्किलों का मेल है। इसे समझना हमारे दिमाग से प्रेज़ेंट माइंड से परे है। लेकिन यह हमें सोचने पर मजबूर करता है, कि क्या हमारा अस्तित्व सिर्फ शरीर तक ही सीमित है। लैगन का कहना है, कि मरने के बाद हम अपनी पिछली यादों को पूरी तरह से भूलते नहीं है।

एक अलग डायमेंशन(What Happens After Death)-
हालांकि उस अवस्था में उन यादों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होती। नई यादों में एक अलग तरह की स्वतंत्रता होती है, जो आत्मा को ज्यादा समझदार और परफेक्ट बनाती है। लैगन का यह भी कहना है, कि मरने के बाद की स्थिति पारंपरिक स्वर्ग या नरक जैसा नहीं है। यह एक नई शुरुआत है, जहां चेतना (Consciousness) एक अलग डायमेंशन पर जाती है। यहां समय और जगह का कोई मेल नहीं होता। लैगन का यह दावा कई वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को हैरान करता है। कई लोगों का मानना है, कि यह सिर्फ एक विचार है, जो विज्ञान और दर्शन का मेल है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि लैगन की थ्योरी इंसान के अनुभव और ब्रह्मांड को समझने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।

मरने से बाल-बाल बचे लोगों के अनुभव-
हालांकि न्यूरोलॉजिकल मृत्यु के पास पहुंचने के लिए एक एक्सप्लेनेशन देते हैं, जो आमतौर पर उन व्यक्तियों द्वारा रिपोर्ट किए गए हैं, जो मरने से बाल-बाल बच चुके हैं। एनडीए में इस तरह की कुछ सेंसेशनल शामिल किए गए हैं, जिसमें किसी व्यक्ति को मरने के वक्त एक चमकदार रोशनी या सुरंग दिखाना, अपने शरीर से अलग महसूस करना ,आध्यात्मिक या दैवीय सत्ता से सामना करना, अपने जीवन के अनुभव को आखों के सामने देखना, मरने के बाद देखी गई चीज़, ब्रेन एक्टिविटी कुछ घटनाओं का आधार हो सकती है। स्मृति और चेतना का कोआर्डिनेशन किसी भी व्यक्ति के जीवन की यादों को आंखों के सामने चमकने जैसा नजर आता है। जबकि ऑक्सीजन की कमी और बढ़ी हुई तांत्रिक गतिविधि एक जागते हुए सपने जैसा भ्रम पैदा कर सकती है। हालांकि यह कंक्लुजन डिबेटेबल बना हुआ है।

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विज्ञान और आध्यात्म का एक अद्भुत मेल-
यह सिद्धांत विज्ञान और आध्यात्म का एक अद्भुत मेल है। क्रिस लैगन ने इसे यह समझाने के लिए विकसित किया है, कि हमारा मन और ब्रह्मांड कैसे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यह सिद्धांत हमें यह सोचने पर मजबूर कर देता है, कि हम जिस रियलिटी में रहते हैं, वह क्या असल में सच है या सिर्फ हमारी चेतना का निर्माण है। क्रिस लैगन का यह बयान न सिर्फ वैज्ञानिक नज़रिए से जरूरी है, बल्कि हमें आध्यात्मिक और जीवन के मूल सवालों को नए सिरे से सोचने पर मजबूर करता है। मरने का रहस्य, जो हमेशा से अनसुलझा लग रहा था, शायद अब थोड़ा सा स्पष्ट हो रहा है। लैगन के सिद्धांत की मानें या ना मानें, लेकिन यह हमें सोचने पर मजबूर करता है, कि क्या मृत्यु अंत है या एक नई शुरुआत।
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