Trump Birthright Citizenship: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को एक बेहद महत्वपूर्ण आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिससे अमेरिका की नागरिकता नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। इस नए आदेश के तहत, अमेरिका में जन्म लेने वाले हर बच्चे को अब स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगी।
भारतीय समुदाय पर प्रभाव(Trump Birthright Citizenship)-
यह फैसला विशेष रूप से अमेरिका में रह रहे 54 लाख से अधिक भारतीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बन गया है। वर्तमान में अमेरिकी जनसंख्या का लगभग 1.47% हिस्सा भारतीय मूल के लोग हैं, जिनमें से दो-तिहाई प्रवासी हैं। टेम्परेरी वर्क वीजा या टूरिस्ट वीजा पर रहने वाले भारतीय नागरिकों के बच्चों को अब स्वचालित नागरिकता नहीं मिलेगी।
कानूनी पक्ष(Trump Birthright Citizenship)-
अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के अनुसार, “अमेरिका में जन्मे या नागरिक बने सभी व्यक्ति, जो इसके क्षेत्राधिकार के अधीन हैं, अमेरिका के नागरिक हैं।” लेकिन ट्रम्प प्रशासन का तर्क है, कि इस संशोधन की व्याख्या गलत की गई है। उनका कहना है कि “क्षेत्राधिकार के अधीन” वाक्यांश का मतलब यह नहीं है कि हर जन्मे बच्चे को नागरिकता मिले।
बर्थ टूरिज्म पर रोक-
यह नया नियम बर्थ टूरिज्म पर भी रोक लगाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, मैक्सिकन और भारतीय परिवार उन लोगों में शामिल हैं, जो अपने बच्चों को स्वचालित नागरिकता दिलाने के लिए इस मार्ग का सबसे अधिक उपयोग करते हैं।
कानूनी चुनौतियां-
यह आदेश 30 दिनों में लागू होगा, लेकिन इस पर कानूनी चुनौतियों की संभावना है। न्यू हैम्पशायर के इमिग्रेशन एडवोकेट्स ने पहले ही इसके खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है। 1898 के एक सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि चीनी माता-पिता के अमेरिका में जन्मे बच्चे को पूर्ण कानूनी दर्जा मिलेगा, भले ही उनके माता-पिता स्थायी निवासी हों।
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अन्य महत्वपूर्ण फैसले-
इसके अलावा, ट्रम्प ने कई अन्य महत्वपूर्ण आदेशों पर भी हस्ताक्षर किए। उन्होंने 2021 में यूएस कैपिटल में घुसने वाले लगभग 1,500 लोगों को माफी दी, मैक्सिको सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया, पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को अलग किया और आपराधिक गिरोहों को आतंकवादी संगठन घोषित किया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला अमेरिका की आव्रजन नीति में एक बड़ा बदलाव है। इससे न केवल भारतीय समुदाय, बल्कि दूसरे देशों के प्रवासी भी प्रभावित होंगे। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है, कि इस आदेश के खिलाफ कई और याचिकाएं दायर हो सकती हैं।
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