India-Indonesia Relations: नई दिल्ली में 26 जनवरी 2025 को आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। यह पांचवां अवसर है, जब किसी इंडोनेशियाई नेता को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह परंपरा 1950 में शुरू हुई थी, जब इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे।
सदियों पुराने संबंध(India-Indonesia Relations)-

भारत और इंडोनेशिया के बीच संबंधों की जड़ें हजारों साल पुरानी हैं। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यापारिक संबंध प्राचीन काल से रहे हैं। इंडोनेशिया की सांस्कृतिक विरासत में हिंदू और बौद्ध प्रभाव गहराई से समाया हुआ है, जो आज भी उनकी कला, संस्कृति और परंपराओं में दिखाई देता है।
इस्लाम का विकास और प्रसार(India-Indonesia Relations)-
इंडोनेशिया में इस्लाम के इतिहास की कहानी बेहद रोचक है। 8वीं सदी में अरब मुस्लिम व्यापारियों के आगमन से शुरू हुई यह यात्रा, 13वीं सदी में एक व्यापक धार्मिक आंदोलन में बदल गई। सुमात्रा के उत्तरी तट पर इस्लामिक राज्यों की स्थापना से शुरू होकर, यह धर्म धीरे-धीरे पूरे द्वीपसमूह में फैल गया। 1292 में मार्को पोलो ने भी अपनी चीन यात्रा के दौरान इंडोनेशिया के मुस्लिम शहरों का उल्लेख किया था। सुल्तान मलिक अल-सालेह को यहां का पहला मुस्लिम शासक माना जाता है।
वर्तमान धार्मिक परिदृश्य-

आज इंडोनेशिया दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है। 2023 के सिविल रजिस्टर के आंकड़ों के अनुसार, यहां 87.06% लोग इस्लाम धर्म को मानते हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की 2011 की रिपोर्ट के अनुसार, देश की मुस्लिम आबादी में 99% सुन्नी मुसलमान और 1% शिया मुसलमान हैं। इसके अलावा, यहां लगभग 4 लाख अहमदी मुसलमान भी हैं।
धर्मनिरपेक्ष राज्य का मॉडल-
एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मुस्लिम बहुल होने के बावजूद इंडोनेशिया एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। यहां सरकार द्वारा छह धर्मों को आधिकारिक मान्यता प्राप्त है। यह मॉडल धार्मिक विविधता और सामाजिक सद्भाव का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
सांस्कृतिक समानताएं-

भारत और इंडोनेशिया की सांस्कृतिक समानताएं आश्चर्यजनक हैं। भाषा, संस्कृति और पौराणिक कथाओं में यह समानताएं स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्य इंडोनेशिया में भी उतने ही सम्मान से देखे जाते हैं जितने भारत में। यह साझा सांस्कृतिक विरासत दोनों देशों के बीच एक मजबूत कड़ी के रूप में कार्य करती है।
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प्रबोवो सुबियांतो की उपस्थिति-
गणतंत्र दिवस 2025 पर प्रबोवो सुबियांतो की उपस्थिति न केवल ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है, बल्कि यह भविष्य में दोनों देशों के बीच और मजबूत होते संबंधों का भी संकेत है। व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रणनीतिक साझेदारी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं हैं।
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