उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम आश्रम, नीम करोली बाबा को समर्पित एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल है। यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने आते हैं, विशेष रूप से 15 जून को, जब मंदिर स्थापना दिवस मनाया जाता है। नीम करोली बाबा को उनके भक्त हनुमान जी का अवतार मानते हैं। यह विश्वास है कि बाबा के दर्शन और आश्रम से प्राप्त प्रसाद से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
नीम करोली बाबा और कंबल का संबंध
नीम करोली बाबा के जीवन में वैराग्य और सादगी का विशेष स्थान था। वे प्रायः एक साधारण कम्बल ओढ़े रहते थे, जो उनके वैराग्य और त्याग का प्रतीक माना जाता है। एक प्रसंग के अनुसार, एक भक्त ने जब बाबा का पुराना कंबल ठीक करने की कोशिश की, तो बाबा ने कहा,
“इसे छोड़ दो।” इससे यह संदेश मिलता है कि यह शरीर और इसकी वस्तुएं अस्थायी हैं, जबकि आत्मा शाश्वत है।
इसलिए बाबा को कंबल चढ़ाने की परंपरा बनी। यह न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि आध्यात्मिक त्याग और वैराग्य का स्मरण भी कराता है।
चढ़ाया गया कंबल क्यों लाना चाहिए घर?
जब भक्त बाबा को कंबल चढ़ाते हैं, तो कुछ समय बाद वह कंबल उन्हें प्रसाद स्वरूप लौटा दिया जाता है। मान्यता है कि इस कंबल को घर लाने से:
- जीवन के कष्ट और दुख दूर होते हैं।
- परिवार में शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
- बाबा का आशीर्वाद सदैव साथ बना रहता है।
यह कंबल एक प्रकार से बाबा की कृपा का प्रतीक बन जाता है।
कैंची धाम से और क्या लेकर आएं?
यदि आप कैंची धाम आश्रम की यात्रा कर रहे हैं, तो निम्न चीजें साथ लाना अत्यंत शुभ माना जाता है:
- नीम करोली बाबा की तस्वीर:
इसे घर में लगाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा आती है और बाबा का आशीर्वाद मिलता है। - प्रसाद:
कैंची धाम का प्रसाद घर लाकर परिजनों और परिचितों में बांटना चाहिए। इससे सभी को बाबा की कृपा प्राप्त होती है। - भस्म या राख:
कई भक्त बाबा के पूजन की भस्म साथ लाते हैं, जिसे घर में रखने से बुरी शक्तियों का नाश होता है।
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