हिमालय के बर्फीले और शांत प्रदेशों में एक ऐसा रहस्यमयी स्थान माना जाता है, जिसे शंभाला कहा जाता है। यह कोई आम जगह नहीं, बल्कि एक पौराणिक राज्य है जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और तिब्बती बौद्ध परंपराओं में मिलता है। कहा जाता है कि यह राज्य पूर्ण शांति, समृद्धि और दिव्यता से भरपूर है, जहाँ केवल वे ही पहुंच सकते हैं जिनकी आत्मा शुद्ध और साधना पूर्ण हो।
शंभाला का उल्लेख कहां-कहां मिलता है?
इसका उल्लेख हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों में मिलता है।
- कालचक्र तंत्र में इसे 96 लाख पवित्र अध्यात्मिक शिक्षकों का निवास बताया गया है।
- विष्णु पुराण में कहा गया है कि कलियुग के अंत में अंतिम अवतार कल्कि का जन्म शंभाला में ही होगा।
- तिब्बती ग्रंथों में शंभाला को पृथ्वी पर एक दिव्य राज्य माना गया है, जो सामान्य लोगों की आंखों से छुपा हुआ है।
कहां है शंभाला?
इसका स्थान आज भी रहस्य बना हुआ है। कुछ मानते हैं कि यह तिब्बत में कहीं छिपा हुआ है, तो कुछ लोग मानते हैं कि यह उत्तराखंड, लद्दाख या सिक्किम के किसी पहाड़ी इलाके में स्थित है। वैज्ञानिकों और खोजकर्ताओं ने कई बार इसकी तलाश की, लेकिन कोई स्पष्ट प्रमाण आज तक नहीं मिला।
शंभाला का रहस्य
कहते हैं कि शंभाला में प्रवेश वही कर सकता है जिसकी आत्मा उच्चतर स्तर पर हो, जो आध्यात्मिक रूप से पूर्ण हो। यहां की हवाओं में दिव्यता है, यहां कोई युद्ध, क्लेश या लालच नहीं होता। यहां के निवासी अविनाशी होते हैं, और साक्षात देवताओं के समान होते हैं।
आधुनिक समय में शंभाला की मान्यता
आज भी कई साधक हिमालय की ओर साधना के लिए जाते हैं और शंभाला की खोज करते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि यह एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अवस्था है, जहाँ साधक केवल ध्यान और तपस्या के माध्यम से पहुंच सकते हैं।