केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पूरी तरह से एथेनॉल ईंधन से चलने वाली टोयोटा कार लॉन्च की है। इस प्रकार की और कारों के कुछ समय में बाजार में आने के बाद न सिर्फ पर्यावरण पर असर पड़ने वाला है, बल्कि इससे देश की आर्थिक हालत में भी सुधार देखने को मिलेगा। इसके साथ ही सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। मतलब साफ है कि देश की सरकारों के सामने सबसे बड़ी समस्या किसानों की आय को बढ़ाना है। साथ ही गांव से लोगों का शहर की ओर पलायन रोकना है। इस प्रकार से एथेनॉल के इस्तेमाल से चलने वाली गाड़ियां जब सड़कों पर रफ्तार भरेंगे तो किसानों की आय बढ़ेगी।
गेम चेंजर-
इथेनॉल बेस्ड कारों को नितिन गडकरी ने लांच करने के इस कदम को न सिर्फ सरकार का मास्टर स्ट्रोक समझा जाए। बल्कि भारत के लिए कई अन्य पहलुओं के हिसाब से भी यह एक गेम चेंजर साबित होने वाला है। यह पर्यावरण और प्रदूषण के हिसाब से एक तरह से देश के नागरिकों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डालेगा। रोजगार के अवसर बनेंगे और देश पर वर्तमान में जो तेल आयात का बोझ है वह भी कम हो जाएगा।
20% एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य-
ध्यान देने वाली बात यह है कि देश में एथेनॉल उत्पादन क्षमता 1244 करोड़ लीटर के ऑल टाइम हाई पर रही है। इस साल 11 जून 2023 तक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को डिस्टलरीज की रिकॉर्ड सप्लाई 310 करोड़ लीटर पर पहुंच गई। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि देश 2025 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। इसके साथ ही इस प्रोग्राम के बनने से मक्के की फसल महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को एथेनॉल के आपूर्ति 2013 से 14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 2021-22 में 408 लीटर हो गई है।
पेट्रोल में एथेनॉल के मिलने पर जोर-
इसकी खास बात यह रही कि भारत सरकार ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए पेट्रोल में एथेनॉल के मिलने पर जोर दे रही है, जो घरेलू स्तर पर किया जा सकता है। क्योंकि देश अपनी तेल जरूरत का लगभग 85 फीसदी आयात करता है। यह अलग बात है कि अब नितिन गडकरी पूरी तरह से एथेनॉल आधारित गाड़ियों की वकालत में लगे हैं।
एथेनॉल गाड़ियां-
सरकार वर्तमान में एथेनॉल ब्लैंडिंग कार्यक्रम का निर्णय पेट्रोल में 20% इथेनॉल की ब्लैंडिंग की जाए। इससे साफ है कि सरकार के इस निर्णय से कई लाभ हो रहे हैं और यह फायदे भी तेजी से आगे बढ़ाने वाले हैं। आगे जब पूरी तरह से एथेनॉल गाड़ियां दौड़ने लगेगी तो इससे किसान की आमदनी बढ़ेगी और गांव कस्बे में रोजगार के अवसर मिलेंगे। गांव की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और उनका विकास भी संभव हो पाएगा।
ये भी पढ़ें- TATA Nexon होगी नए अवतार में पेश, इलेक्ट्रिक वेरिएंट का भी बदलने वाला है लुक, जानें डेब्यू डेट
तेल जरूरत का आयात-
इथेनॉल पर चलने वाली गाड़ियों के परिचालन से हमारे देश में विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। इथेनॉल की ब्लैंडिंग पेट्रोल में हो रही है और एथेनॉल आधारित वाहनों के पूर्ण संचालन का लाभ भारतीय आयात पर पड़ेगा। वर्तमान में भारत अपनी तेल जरूरत का आयात करता है और इस पर काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा का नुकसान भी होता है। इससे साफ है कि विदेशों से कम तेल आयात करना होगा।
हरित ऊर्जा-
सबसे अच्छी बात यह है कि इथेनॉल से चलने वाले वाहनों से प्रदूषण काफी कम होगा। यह एक प्रकार से हरित ऊर्जा है, इससे पर्यावरण में प्रदूषण कम होगा। पेट्रोल डीजल की तुलना में यह 20% कम हाइड्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करता है। यानी कि प्रदूषण कम करता है, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में प्रदूषण में 40% हिस्सेदारी फॉसिल फ्यूल यानी कि पेट्रोल डीजल की वजह से ही होती है और यह स्पष्ट है कि एथेनॉल पर चलने वाले वाहनों के आने के बाद प्रदूषण की बड़ी समस्या भी काफी हद तक नियंत्रण में आ जाएगी।
ये भी पढ़ें- अपने टू व्हीलर में लगवा लें ये किट, नहीं पड़ेगी पेट्रोल डलवाने की ज़रुरत