World Security Ranking: वैश्विक सुरक्षा की परिभाषा लगातार बदल रही है और 2025 के नंबियो सर्वेक्षण ने इस बदलाव को और अधिक स्पष्ट कर दिया है। एक ऐसी रिपोर्ट जिसने न केवल देशों की सुरक्षा की स्थिति को उजागर किया है, बल्कि कई पारंपरिक धारणाओं को भी चुनौती दी है। संयुक्त राज्य अमेरिका, जो हमेशा खुद को दुनिया की सबसे महान शक्ति मानता रहा है, अब वैश्विक सुरक्षा सूची में 89वें स्थान पर खिसक गया है। यह गिरावट केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि एक गंभीर सामाजिक और राजनीतिक संकेत है।
World Security Ranking भारत और पाकिस्तान-
इस रिपोर्ट में सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला तथ्य यह है, कि भारत और पाकिस्तान ने अमेरिका से बेहतर प्रदर्शन किया है। भारत 66वें और पाकिस्तान 65वें स्थान पर रहे, जो कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह परिणाम न केवल सुरक्षा के मौजूदा परिदृश्य को बदल रहा है, बल्कि विकासशील देशों की क्षमता पर एक नया प्रकाश डाल रहा है।
World Security Ranking 146 देशों का विस्तृत मूल्यांकन-
नंबियो द्वारा किया गया यह सर्वेक्षण 146 देशों का विस्तृत मूल्यांकन है, जिसमें सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को गहराई से परखा गया। सर्वेक्षण में न केवल अपराध के आंकड़ों को देखा गया, बल्कि लोगों की व्यक्तिगत अनुभूतियों और भावनाओं पर भी ध्यान दिया गया। दिन और रात में सार्वजनिक स्थानों पर लोगों की सुरक्षा की भावना, चोरी और डकैती के डर, शारीरिक हमले, सार्वजनिक उत्पीड़न, भेदभाव के मामले, संपत्ति संबंधी अपराध और हिंसक अपराध जैसे विषयों को गहराई से जांचा गया।
World Security Ranking सर्वेक्षण के परिणाम-
सर्वेक्षण के परिणाम काफी रोचक और चौंकाने वाले रहे। अंडोरा, जो एक छोटा सा यूरोपीय देश है, शीर्ष स्थान पर रहा। केवल 181 वर्ग मील के क्षेत्रफल और 82,638 की आबादी वाला यह देश 84.7 के सुरक्षा स्कोर के साथ दुनिया का सबसे सुरक्षित देश बना। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (84.5), कतर (84.2), ताइवान (82.9) और ओमान (81.7) का स्थान रहा। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि सुरक्षा का मतलब केवल आकार या आर्थिक शक्ति नहीं होता, बल्कि यह एक जटिल सामाजिक और नीतिगत परिणाम है।
दुनिया के सबसे असुरक्षित देश-
वहीं दूसरी ओर, दुनिया के सबसे असुरक्षित देशों में वेनेजुएला, पापुआ न्यू गिनी, हैती, अफगानिस्तान और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। ये देश राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट, सामाजिक असमानता और लगातार हिंसा से जूझ रहे हैं। यह सूची हमें याद दिलाती है कि वैश्विक सुरक्षा एक जटिल समस्या है जिसे केवल सांख्यिकीय आंकड़ों से नहीं समझा जा सकता।
नंबियो ने स्पष्ट किया है कि यह सूचकांक उपयोगकर्ताओं द्वारा योगदान किए गए डेटा और धारणाओं पर आधारित है। यह सरकारी आंकड़ों से भिन्न हो सकता है और केवल एक तुलनात्मक उपकरण के रूप में काम करता है। इसलिए इन परिणामों को पूर्ण सत्य के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि एक संदर्भ बिंदु के रूप में समझा जाना चाहिए।
सुरक्षा एक गतिशील अवधारणा-
इस सर्वेक्षण के कई महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। सबसे पहले, यह हमें याद दिलाता है कि सुरक्षा एक गतिशील अवधारणा है जो समय के साथ बदलती रहती है। दूसरा, यह दर्शाता है कि वैश्विक सुरक्षा के मानदंड अब केवल सैन्य शक्ति या आर्थिक क्षमता पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि सामाजिक सद्भाव, कानून का शासन और नागरिकों की व्यक्तिगत अनुभूतियों पर भी निर्भर करते हैं।
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विकासशील देश-
भारत और पाकिस्तान के बेहतर प्रदर्शन ने विशेष रूप से ध्यान आकर्षित किया है। यह दर्शाता है कि विकासशील देश भी सुरक्षा के मामले में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि सब कुछ बिल्कुल सही है। इन देशों में अभी भी कई चुनौतियां मौजूद हैं जिन्हें संबोधित किया जाना आवश्यक है।
अंत में, यह सर्वेक्षण हमें एक महत्वपूर्ण संदेश देता है: सुरक्षा केवल सरकारों या संस्थानों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक की व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए लगातार प्रयास करने होंगे।
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