बच्चों में अस्थमा की समस्या काफी संवेदनशील होती है। मिली जानकारी के अनुसार, पिछले 6 सालों में लगभग 80 प्रतिशत बच्चों में अस्थमा के लक्षण पाए गए हैं। जिससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी काफी प्रभावित हुई है, क्योंकि उन्हें बार-बार डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता है। अस्थमा की वजह से बच्चों के शरीर और मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जिसका अगर समय पर इलाज ना किया जाए, तो यह बच्चों के लिए खतरा भी बन सकता हैं।
अस्थमा के लक्षण-
बच्चों में अस्थमा के यह निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं। जिनकी वजह से हम यह पहचान सकते हैं ,कि बच्चे को अस्थमा है या नहीं है। बच्चे की सांसो का छोटा होना, बच्चे को छाती में भारीपन और कड़ापन महसूस होना। सर्दी जुखाम में खांसी और छींको का बार बार आना, सांस लेने में परेशानी होना और थकान होना आदि यह सभी अस्थमा के लक्षण होते हैं। जिनसे हमें यह पता चलते हैं कि बच्चों को अस्थमा है या नहीं है।
अस्थमा का इलाज-
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती हैं, वैसे ही अस्थमा के इलाज भी बदल जाते हैं। Inhalation therapy को अस्थमा के इलाज में सबसे बेहतर समझा जाता है। बच्चों में अस्थमा जल्दी ठीक नहीं हो पाता, लेकिन अगर सही समय पर इसका पता चल जाए तो अस्थमा को कंट्रोल किया जा सकता है। बच्चे के माता-पिता को डॉक्टर से सलाह लेकर अपने बच्चे की देखभाल कर सकते हैं। माता-पिता को अस्थमा के लक्ष्णों
और दवाईयों के दुष्प्रभावों के बारे पूर्ण जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे अपने बच्चे की अच्छे से देखभाल कर सकें।
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अस्थमा से बच्चों का बचाव-
अस्थमा और बच्चों में दूरी बनाए रखने काफी जरूरी है इसलिए आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए।
1. बच्चों को तंबाकू और धूम्रपान से दूर रखना।
2. बच्चों को शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि उनके शारीरिक विकास हो सकें और वह मजबूत बन सकें।
3. बच्चों की इम्युनिटी को मजबूत बनाएं, ताकि वह किसी भी प्रकार की बीमारी से लड़ सकें।
4. बच्चों की नियमित रूप से चेकअप करवाएं, ताकि उन्हें बीमारी का शिकार होने से पहले बचाया जा सकें।
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