देश में बढ़ रहे प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए केंद्र सरकार लगातार सख्त कदम उठाती दिख रही है। वहीं, सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बैन करने के लिए सरकार का ‘से नो टू प्लास्टिक’ अभियान भी जारी है। वहीं, इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए पशुपालन और मत्स्य मंत्रालय भी बड़ी योजना बना रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पशुपालन और मत्स्य मंत्रालय द्वारा बनाई योजना के तहत दूध और दूध से बने उत्पादों को पैक करने में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जाएगा। इन उत्पादों की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक/रैपर को ग्राहक वापस लौटाते है तो ग्राहकों को दूध, दही, पनीर, छाछ, लस्सी या आइसक्रीम जैसी चीजों पर थोड़ी छूट भी दी जाएगी। यानी एक तरफ ये जनता को दूध और दूध के सामनों की बढ़ती कीमतों से थोड़ी राहत देने वाली है। वहीं इससे प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को भी कम किया जा सकेगा।
वहीं, खबरों की माने तो इस विभाग द्वारा प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए रिड्यूस, रिबेट और रि-यूज़ मॉडल को ध्यान में रखकर रोड मैप तैयार किया जा रहा है। इस योजना को आने वाले 2 अक्टूबर को लागू भी किया जा सकता है। बता दे कि 15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने 2 अक्टूबर से प्लास्टिक को बैन करने की अपील भी की थी।
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वहीं, इस अभियान के चलते पशु पालन मंत्रालय ने देश के तमाम मिल्क कॉपरेटिव फेडरेशन और प्राइवेट डेयरी प्रोड्यूसर के साथ मीटिंग की। इस मीटिंग के दौरान दूध और उससे जुड़े उत्पादों की पैकेजिंग में प्लास्टिक के उपयोग को कम करना, पैकेजिंग में इस्तेमाल प्लास्टिक को रिकलेक्ट कर उसकी रिसाइक्लिंग करने पर भी विचार किया गया है। इसमें रैपर की रिसाइक्लिंग में मदद करने वाले उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए पैकेजिंग मैटेरियल वापस करने के बदले उनको खरीदारी पर छूट देने की बात कही गई है। सरकार की योजना में कोशिश ये है कि उपभोक्ता रैपर को कूड़े का हिस्सा न बनाकर उसे संभाल कर तुरंत मिल्क बूथ में वापस करे दें।
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