रूसी बाजारों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए भारत ने मॉस्को को उत्पादों की एक सूची दी है। सोमवार को विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा कि भारत देश रूस के साथ व्यापार में बढ़ते घाटे को कम करना चाहता है। वो भी तब जब मॉस्को को कुछ महत्वपूर्ण सामग्रियों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले हफ्ते रॉयटर्स ने यह रिपोर्ट दी थी कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद हुए प्रतिबंधों के कारण मॉस्को ने संभावित डिलीवरी के लिए भारत को 500 से भी अधिक उत्पादों की एक सूची भेजी थी, जिसमें कारों से लेकर विमान तक के पुर्जे भी शामिल थे। सुब्रमण्यम जयशंकर ने रिपोर्ट्स से अपने जर्मन समकक्ष एनालेना बेयरबाक के साथ एक ब्रीफिंग में कहा कि, “हमने रूसियों को उत्पादों का एक सेट दिया है, जिसमें हम मानते हैं कि हम बहुत प्रतिस्पर्धी हैं और हमें लगता है कि रूसी बाजार तक हमारी पहुंच होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी बताया कि बीते कई समय से व्यापार के विस्तार पर चर्चा चल रही है। जयशंकर ने कहा कि, “हम देखेंगे कि कहां पर मांग, आपूर्ति और फिट है। मुझे लगता है कि इसका एक बड़ा हिस्सा बाजार द्वारा निर्धारित किया जाएगा।”
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दशकों से रूस भारत में सैन्य उपकरणों की पूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है। रूस भारतीय फार्मास्यूटिकल के लिए चौथा सबसे बड़ा बाजार है। मोदी सरकार ने यूक्रेन में युद्ध के लिए खुले तौर पर मॉस्को की आलोचना नहीं की है जैसा कि पश्चिमी देशों ने किया। रूसी तेल की खरीद में हुई वृद्धि ने रूस को प्रतिबंधों के कुछ प्रभावों से बचा लिया है। नवंबर में मॉस्को की यात्रा के दौरान, जयशंकर ने कहा कि ‘भारत के द्विपक्षीय व्यापार को संतुलन में लाने के लिए रूस के निर्यात को बढ़ाने की जरूरत है। जिसका झुकाव अब रूस की तरफ है।