अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए गर्भपात की गोलियों पर लगे प्रतिबंध को खारिज करते हुए उनके इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने गर्भपात की स्थिति में इस्तेमाल की जाने वाली दवा पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाते हुए, निचली अदालत के प्रतिबंधों को खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस आदेश का बाइडेन सरकार ने स्वागत किया है।
‘मिफेप्रिस्टोन’ के प्रतिबंध पर महिलाओं ने जताई आपत्ति:
7 मार्च, 2023 को अमेरिका के Texas और Washington में फेडरल जजों ने मिफेप्रिस्टोन (Mifepristone) दवा को बैन करने का फैसला सुनाया था। इस दवा का इस्तेमाल आमतौर पर गर्भपात के लिए किया जाता है। जब कोर्ट ने यह फैसला सुनाया तो कुछ महिला संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई। वहीं, बाइडेन सरकार ने कहा कि वे महिला अधिकारों के हित में फैसला चाहते हैं।
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जिसके बाद बाइडेन सरकार के समर्थक और मिफेप्रिस्टोन के निर्माता निचली अदालत के फैसले से नाखुश होकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मिफेप्रिस्टोन पर लगे प्रतिबंध हटवाने की अपील की। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने गर्भपात दवाओं को इमरजेंसी में इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है। जिससे बाइडेन प्रशासन और न्यूयॉर्क स्थित डैंको लेबोरेटरीज, जो कि ‘मिफेप्रिस्टोन’ दवा के निर्माता हैं, उन्हें राहत की सांस मिली है।
अमेरिका में ‘मिफेप्रिस्टोन’ पर लगा था बैन:
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका में साल 2000 से ही महिलाओं को गर्भपात कराने के लिए मिफेप्रिस्टोन को इस्तेमाल करने की अनुमति है। वहां 5 मिलियन से भी अधिक महिलाओं ने इसका उपयोग किया है। अमेरिका में गर्भपात के कई मामलों में इसी तरह की दवा का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन जब गर्भपात के मामले बढ़ने के कारण अमेरिका में जन्मदर पर इसका असर पड़ने लगा। तो बहुत से लोगों ने गर्भपात कराने वाली दवाओं पर रोक लगाने की मांग की। जबकि कई रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि, इन दवाओं से महिलाओं की जान को भी खतरा है।
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Joe Biden ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत:
अमेरिकी राष्ट्रपति Joe Biden ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि, मिफेप्रिस्टोन के इस्तेमाल की कानूनी लड़ाई तो अदालत में जारी रहेगी, लेकिन उससे पहले इसके इस्तेमाल पर रोक लगाना सही नहीं था। लेकिन अब कोर्ट ने महिलाओं को इन दवाओं के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है।