बुधवार को हिमाचल में ‘विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस’ का आयोजन किया गया था। जिसकी पूर्व संध्या पर ‘वीमेन एंड एजिंग: इनविजिबल एंड एम्पॉवर्ड’ शीर्षक नामक एक रिपोर्ट तैयार की गयी थी। जिसमें राज्य की 66 प्रतिशत वृद्ध महिलाएं शारीरिक हिंसा का शिकार थीं और हैरान करने वाली बात तो यह थी कि, उसमें से 56 प्रतिशत मामलों में उनके खुद के बेटे शामिल थे।
रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि, बुजुर्गों के साथ शारीरिक शोषण के मामले राष्ट्रीय स्तर पर 16 फ़ीसदी और राजकीय स्तर पर जहां 3.66 बुजुर्ग महिलायें हैं, वहां यह मामला 15 फ़ीसदी की दर से बढ़ रहा है। ‘हेल्पएज इंडिया’ के प्रमुख डॉ राजेश कुमार ने बताया कि, जारी की गयी रिपोर्ट के मुताबिक 17 फीसदी बुजुर्ग महिलाएं अपमान और अन्य 17 फ़ीसदी महिलाएं भावनात्मक व मनोवैज्ञानिक रूप से प्रताड़ित की गयी हैं। 56 फ़ीसदी मामलों में बेटों को आरोपी पाया गया है। जिसके बाद बाकी के 15 फीसदी मामलों में घर की बहुएं और 12 फ़ीसदी केस में रिश्तेदारों ने उत्पीड़न किया। इसके अलावा 48 फ़ीसदी बुजुर्ग महिलाओं का कहना है कि वह आर्थिक रूप से असुरक्षित हैं।
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हिमाचल प्रदेश में तकरीबन 94 प्रतिशत बुजुर्ग महिलाएं अपने परिवार के साथ, तीन प्रतिशत अकेली, दो प्रतिशत महिलाएं अपने पति और एक प्रतिशत महिलाएं अपने रिश्तेदारों के साथ रहती हैं। इनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं शादीशुदा, 27 प्रतिशत विधवा और बाकी की एक-एक प्रतिशत महिलाएं तलाकशुदा और अविवाहित हैं।
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तो वहीं रिपोर्ट के अनुसार, 58 प्रतिशत पीड़ित महिलाएं प्रतिशोध के डर से इस बात का खुलासा नहीं कर रही थी। जबकि 48 प्रतिशत मामलों में महिलाओं में जागरूकता की कमी के कारण केस वापस ले लिए गए। हालाँकि 26 प्रतिशत महिलाओं का ये कहना है उनकी बातों को गंभीरता के साथ नहीं लिया जाएगा, तो 34 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उनके साथ लिंग के आधार पर भेदभाव किया गया था। 58 प्रतिशत महिलाओं ने विधवा होने के पश्चात् सामाजिक भेदभाव का सामना किया।