Indian Railway: कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य के साथ भारतीय रेलवे ने “Hydrogen for Heritage” पहल के तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनों को संचालित करने की योजना की घोषणा की है। भारत की पहली प्रोटोटाइप ट्रेन जिसमें हाइड्रोजन ईंधन सेल शामिल हैं, उत्तर रेलवे के जिंद सोनीपत खंड पर संचालित होने के लिए फील्ड परीक्षणों से गुजरेगी, क्योंकि परीक्षण मार्च 2024 में शुरू होने वाला है। इसीलिए गतिविधियों को समय सीमा के तहत अच्छी तरह से व्यवस्थित किया गया है।
111.83 करोड़ रुपए का एक पायलट प्रोजेक्ट-
इसके साथ ही रेलवे ने संबंधित ज़मीनी बुनियादी ढांचे के अलावा मौजूद डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेट पर हाइड्रोजन ईंधन सेल के रिट्रोफिटमेंट के लिए 111.83 करोड़ रुपए का एक पायलट प्रोजेक्ट सौंपा है। इसके लिए प्रति ट्रेन की अनुमानित लागत 80 करोड़ रुपए और ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लागत प्रति रूट 70 करोड़ रुपए होगी।
हरित परिवहन तकनीक-
यह ट्रेनें कार्बन डाइऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन उत्सर्जित करती हैं, जो उन्हें हरित परिवहन तकनीक (Green Transportation Technology) के तहत पर्यावरण के अनुकूल बनाती है और यह भारत के शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों के अनुरूप है। इसके साथ ही इस समय रेलवे का पूरा ध्यान 100 प्रतिशत विद्युतीकरण के लक्ष्य को हासिल करने पर केंद्रित है।
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पायलट प्रोजेक्ट की सफलता-
इसके अलावा पायलट प्रोजेक्ट की सफलता दुनियाभर के अन्य उद्योगों को इसी तरह के स्वच्छ ऊर्जा समाधान तलाशने के लिए प्रेरित कर सकती हैं, जो नए और पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं।
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अच्छा विकल्प-
इससे यह ट्रेन डीजल पर चलने वाली ट्रेनों की तुलना में ज्यादा अच्छा विकल्प बन जाती हैं। भारतीय रेलवे पहले से ही 100 प्रतिशत विद्युतीकरण हासिल करने की राह पर है और हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों की शुरुआत से ना सिर्फ कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, बल्कि स्वच्छता और हरित भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त बनेगा।