Shubham Vashisht: हरियाणा के छोटे से शहर बल्लबगढ़ का नाम एक बार फिर दुनिया के मानचित्र पर चमक उठा है। यहाँ के होनहार बेटे शुभम वशिष्ठ ने जर्मनी के हैनोवर में आयोजित दूसरे विश्व बधिर शूटिंग चैंपियनशिप में भारत के लिए दो शानदार पदक जीते हैं। शुभम ने 10 मीटर एयर पिस्टल एकल स्पर्धा में कांस्य पदक और 10 मीटर एयर पिस्टल टीम स्पर्धा में रजत पदक अपने नाम किया। इस जीत के साथ उन्होंने न सिर्फ अपने देश का नाम रोशन किया, बल्कि अपने राज्य हरियाणा, जिला फरीदाबाद और अपने शहर बल्लबगढ़ को भी गौरवान्वित किया है।
वतन वापसी पर भव्य स्वागत-
जब शुभम अपने वतन लौटे, तो उनका स्वागत किसी हीरो की तरह किया गया। फरीदाबाद के 10X शूटिंग रेंज से एक भव्य स्वागत रैली निकाली गई। यह रैली शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए अंबेडकर चौक बल्लबगढ़ तक पहुंची और अंत में शुभम के घर भीकम कॉलोनी में समाप्त हुई।
सम्मान समारोह में VIP हाजिरी-
शुभम के घर पर एक विशेष सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा और रावल स्कूल्स के चेयरमैन सीबी रावल जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की। उन्होंने शुभम को आशीर्वाद दिया और उनकी उपलब्धि पर गर्व व्यक्त किया।

पिता ने की पैरा के बराबर सम्मान की मांग-
शुभम के पिता दिनेश शर्मा ने इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद किया। उन्होंने एक महत्वपूर्ण मुद्दा भी उठाया। श्री शर्मा ने हरियाणा सरकार से अपील की कि वे अन्य राज्यों की तरह बधिर खिलाड़ियों को पैरा-एथलीटों के बराबर सम्मान और पुरस्कार दें। यह मांग बधिर एथलीटों के लिए समान अवसर और मान्यता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
शुभम की प्रेरणादायक यात्रा-
शुभम की सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। बचपन से ही शुभम को शूटिंग का शौक था। अपनी बधिरता के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की। “मैंने कभी अपनी बधिरता को कमजोरी नहीं माना,” शुभम ने संकेतों में बताया। “मेरा मानना है कि अगर आप किसी चीज को पूरे दिल से चाहते हैं, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।”
शहर के लिए गर्व का क्षण-
बल्लबगढ़ के लोगों के लिए यह बेहद गर्व का क्षण है। स्थानीय निवासी रमेश कुमार ने कहा, “शुभम ने साबित कर दिया है कि हमारे छोटे से शहर में भी विश्व स्तरीय प्रतिभाएं हैं। वह हमारे युवाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं।”
आगे की राह-
शुभम की इस उपलब्धि से उम्मीद जगी है कि भविष्य में और भी कई युवा बधिर एथलीट आगे आएंगे और देश का नाम रोशन करेंगे। हालांकि, इसके लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर काम करना होगा। शुभम के कोच राजेश शर्मा ने कहा, “हमें बधिर एथलीटों के लिए बेहतर सुविधाएं और प्रशिक्षण की जरूरत है। अगर हम उन्हें सही मौका दें, तो वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमाल कर सकते हैं।”
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युवाओं के लिए प्रेरणा बने शुभम-
शुभम वशिष्ठ की कहानी हमें सिखाती है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई भी मुश्किल लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी जीत न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। आशा है कि इस सफलता से प्रेरित होकर और भी कई युवा अपने सपनों को पूरा करने की ओर कदम बढ़ाएंगे। शुभम के भाई विक्रम वशिष्ठ ने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “हम सभी का समर्थन और प्यार पाकर बहुत खुश हैं। शुभम की सफलता में पूरे परिवार और शहर का योगदान है।”
यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हर चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है। शुभम वशिष्ठ ने यह साबित कर दिया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। उनकी जीत न केवल बधिर एथलीटों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करना चाहता है।
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