Forbes Report: दुनिया की शक्ति का मानचित्र हर साल बदलता रहता है और इस साल फोर्ब्स की रिपोर्ट ने वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। 2025 की अपनी नवीनतम रैंकिंग में अमेरिका ने फिर अपना वर्चस्व बरकरार रखा है, जबकि चीन दृढ़ता से दूसरे स्थान पर काबिज है। यह रैंकिंग केवल एक लिस्ट नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति की जटिल गतिशीलता का एक गहन विश्लेषण है।
Forbes Report रैंकिंग की विशेषता-
रैंकिंग की विशेषता यह है कि इसे तैयार करने में पांच महत्वपूर्ण मापदंडों पर गहन ध्यान दिया गया है। इन मापदंडों में नेतृत्व की क्षमता, आर्थिक प्रभाव, राजनीतिक शक्ति, अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों की मजबूती और सैन्य ताकत शामिल हैं। इस जटिल प्रक्रिया को वॉर्टन स्कूल के प्रतिष्ठित प्रोफेसर डेविड रेइबस्टीन के नेतृत्व में BAV ग्रुप द्वारा विकसित किया गया था, जो कि वैश्विक मार्केटिंग दिग्गज WPP का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
Forbes Report भारत की स्थिति-
भारत की स्थिति इस रैंकिंग में काफी चर्चा का विषय रही है। देश 12वें स्थान पर है, जो निश्चित रूप से उसकी क्षमताओं को देखते हुए एक विचारणीय स्थिति है। हालांकि, भारत की उपलब्धियां अनदेखी नहीं की जा सकतीं। वैश्विक जीडीपी में भारत पांचवें स्थान पर है, जिसमें उसके आगे केवल अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान हैं। यह स्थिति भारत की आर्थिक क्षमता और वैश्विक महत्व को रेखांकित करती है।
Forbes Report अमेरिका और चीन-
अमेरिका और चीन के बीच की प्रतिस्पर्धा इस रैंकिंग का सबसे दिलचस्प पहलू रही है। अमेरिका अपनी आर्थिक, सैन्य और राजनयिक शक्ति के बल पर शीर्ष स्थान पर बना हुआ है। वहीं चीन तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और बढ़ते वैश्विक प्रभाव के साथ दूसरे स्थान पर है। दोनों देशों के बीच की यह प्रतिस्पर्धा वैश्विक राजनीति को एक नया आयाम दे रही है।
रैंकिंग के विश्लेषण-
रैंकिंग के गहन विश्लेषण से पता चलता है, कि वैश्विक शक्ति अब केवल सैन्य ताकत या आर्थिक क्षमता तक सीमित नहीं रही है। आज नेतृत्व की गुणवत्ता, नवाचार की क्षमता, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कूटनीतिक कौशल भी उतने ही महत्वपूर्ण हो गए हैं। भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि देश को इन क्षेत्रों में और अधिक निवेश करने की आवश्यकता है।
स्थिति को मजबूत-
भारत के पास अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए अनेक संभावनाएं हैं। युवा और गतिशील जनसंख्या, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, तकनीकी नवाचार और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय संबंध भारत के लिए बड़े फायदे हैं। देश के नीति निर्माताओं और नेतृत्व को इन क्षेत्रों में और अधिक रणनीतिक निवेश करने की आवश्यकता है।
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शक्ति का संतुलन-
विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में वैश्विक शक्ति का संतुलन और भी जटिल होता जाएगा। नए उभरते देश, जलवायु परिवर्तन, तकनीकी नवाचार और वैश्विक चुनौतियां इस परिदृश्य को निरंतर बदल रही हैं। भारत को इन बदलावों के साथ खुद को अपडेट करते रहने की आवश्यकता है।
फोर्ब्स की यह रैंकिंग सिर्फ एक सूची नहीं है, बल्कि वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य का एक गहन स्नैपशॉट है। यह हमें याद दिलाता है कि किसी देश की शक्ति उसकी सैन्य ताकत से कहीं अधिक जटिल और बहुआयामी होती है।
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