अजय चौधरी
देश भर के प्राईवेट कोचिंग सेंटरों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने सरकार को इन संस्थानों को रेगुलेट करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट के अनुसार ये सभी कोचिंग सेंटर शिक्षा का व्यवसायीकरण कर रहें हैं जिसे रोकना जरुरी है। अब निजी कोचिंग संटरों पर सवाल ये ही है कि क्या ये सचमुच शिक्षा का व्यवसायीकरण कर रहे हैं या फिर शिक्षा की अधूरी कमी को पूरा कर रहे हैं जिसे छात्र छात्राएं स्कूल और कॉलेजों में पूरी नहीं हो पाती।
कोर्ट ने कहा है कि इसको रेगुलेट करने के लिए कोई पालिसी बने ताकि शिक्षा का व्यवसायीकरण न हो। क्योंकि देशभर के बडे शहरों में प्राईवेट कोचिंग संस्थान पैसा कमाने का बडा खेल बन गए हैं। हाल ये है कि अगर आपको किसी संस्थान का ऐंट्रेंस एग्जाम देना है तो कोचिंग के बिना ये असंभव सा नजर आता है। जिसका एक अन्य कारण देश के स्कूल और कॉलेजों में एंट्रेंस एग्जाम से रिलेटिड पढाई का न होना भी है। और जिस तरह से कम्पटीशन बढ रहा है उससे ये कोचिंग संस्थान ज्वाइन करना मजबूरी बन जाती है। इसलिए कोर्ट ने ये भी कहा है कि संस्थानों में प्रवेश के लिए केवल एक आधार न हो। इसके लिए 60 फीसदी प्रवेश परीक्षा और 40 फ़ीसदी स्कूल रिजल्ट के आधार पर प्रवेश मिलना चाहिए।
हालांकि कोर्ट ने ये भी माना है कि इन्हें बैन नहीं किया जा सकता। क्योंकि बहुत सारे लोग इनसे जुडे हैं जिनपर इसका सीधा प्रभाव पडेगा। वहीं सरकार भी बडे संस्थानों में होने वाली प्रवेश परिक्षाओं को लेकर सतर्क है। सरकार एंट्रेंस टेस्ट करवाने के लिए अलग से नैशनल लेवल पर एक एजेंसी बनाने जा रही है। सभी टेस्ट उस एजेंसी के द्वारा ही होंगे।
वहीं इससे पहले पिछेले साल सुप्रीम कोर्ट रिहायशी क्षेत्रों में चल रहे कोचिंग सेंटरों को बंद किए जाने का आदेश दे चुका है। क्योंकि इनमें होने वाली हलचल से आस-पास रहने वालों लोगों की मुसीबत होती है। कोचिंग सेंटरों के बाहर लड़ाई-झगड़ा आम होता है। वहीं कोचिंग सेंटर के आस-पास के घरों के सामने वाहनों की पार्किंग से परेशानी होती है। छात्रों के साथ कई बार अराजक तत्व आ जाते हैं, तो खुराफात करते हैं। वहीं फ्रेशर,फेयरवेल, बर्थ डे पार्टी के देर रात तक जश्न में डीजे का शोर रहते हैं।