गुरुवार को भारत में सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना करने के तीन प्रस्ताव को कैबिनेट द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंजूरी दे दी गई। जिसमें असम और गुजरात में टाटा समूह द्वारा दो संयंत्र और गुजरात में मरूगप्पा समूह के स्वामित्व वाली सीजी पावर का एक संयंत्र शामिल है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि सभी तीनों यूनिट का निर्माण 100 दिनों के अंदर ही शुरू कर दिया जाएगा। इन तीनों यूनिट्स में कुल 1,26,000 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। जिससे कि देश में आने वाले चार सेमीकंडक्टर इकाइयों में कुल निवेश 1,49,000 करोड़ हो जाएगा। वैष्णव का कहना है कि इससे 26,000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और एक लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
गुजरात में प्लांट लगाने का प्रस्ताव-
सरकार ने अमेरिकी कंपनी माइक्रोन के गुजरात में प्लांट लगाने के प्रस्ताव को जून 2023 में मंजूरी दे दी थी। नए संयंत्रों में टाटा इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेट लिमिटेड संयंत्र शामिल है, जो ताइवान के पावर चिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन के साथ साझेदारी में स्थापित किए जाएंगे। यह भारत की पहली सेमीकंडक्टर फैब इकाई है और इसे गुजरात के धोरेला में स्थापित किया जाएगा अश्विनी वैष्णव का कहना है कि यह देश के लिए एक निर्णायक क्षण है और भारत की आत्मनिर्भरता की राह में एक बड़ी उपलब्धि भी। यूनिट में 91 करोड रुपए का निवेश होगा और प्रति महा 50,000 वेफर्स का उत्पादन होगा।
माइक्रोचिप डिजाइन-
यह व्यापार एक सिलिकॉन बेस है जिस पर माइक्रोचिप डिजाइन किए जाते हैं। आउटपुट इलेक्ट्रिक वाहनों, हाई पावर कंप्यूटर, रक्षा, टेलीकॉम, ऑटोमोबाइल उपभोक्ता, इलेक्ट्रॉनिक्स पावर, इलेक्ट्रॉनिक्स और डिस्प्ले में इस्तेमाल किए जाने वाले उच्च प्रदर्शन कंप्यूटर चिप्स बनाए जाएंगे। अन्य दो संयंत्र असम में टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड और सानंद गुजरात में सीजी पावर टीएसटी वाले हैं। अश्विनी वैष्णव का कहना है कि भारत ने पहली बार टीएसटी तकनीक स्वदेशी रूप में विकसित की है। इसमे बौद्धिक संपदा भी टाटा की है। मंत्री का कहना है कि सरकार सभी चार संयंत्रों के लिए राजकोषीय सहायता के रूप में अनुमानित 59,000 करोड रुपए खर्च करेगी। गुरुवार को तीनों को मंजूरी दी गई और माइक्रोन को पिछले साल मंजूरी दे दी गई थी।
48 मिलियन चिप्स का उत्पादन-
टीएसटी संयंत्र असम में दो बड़े अमेरिकी समूह के साथ साझेदारी में स्थापित किया जाएगा। जिसका नाम वैष्णव ने इन दोनों कंपनियों की प्राइवेसी अनुरोध का हवाला देते हुए बताने से इनकार कर दिया। यह यूनिट में 27,000 करोड़ रुपए के निवेश से स्थापित की जाएगी और प्रतिदिन 48 मिलियन चिप्स का उत्पादन करेगी। सीजीपावर जापान के रेनेसस इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन और थाईलैंड के स्टार्स माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ साझेदारी में गुजरात के साणंद में 76,00 करोड रुपए के निवेश और प्रतिदिन 15 मिलियन चिप्स के उत्पादन के साथ विशेष चिप्स के लिए एक टीएसटी की यूनिट स्थापित करेगा।
राज्यों में सेमीकंडक्टर निर्माण यूनिट-
इस मंजूरी के बाद देश में चार सेमीकंडक्टर यूनिट में से तीन गुजरात में स्थापित की जाएगी। माइक्रोन और सीजी पावर की साणंद में और टीईपीएल धोरेला में। वैष्णव कहना है कि यह निर्माता पर निर्भर करता है कि वह किस राज्य में अपना संयंत्र स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आठ राज्यों में सेमीकंडक्टर निर्माण यूनिट स्थापित करने में रुचि व्यक्ति की है। लेकिन उनका नाम बताने से इनकार कर दिया। भारत में दिसंबर 2021 में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण पारिस्थितिक तंत्र को उत्प्रेरित करने के लिए एक योजना शुरू की। जिसे 76.000 करोड रुपए के परिवहन के साथ लांच किया गया था।
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50% वित्तीय सहायता-
इसके तहत सरकार स्थापना के लिए परियोजना लागत को 50% वित्तीय सहायता देगी। सेमीकंडक्टर यूनिट, एटीएमपी और अन्य के लिए 50% का वित्तीय समर्थन होगा। माइक्रोन की एटीएमपी की सुविधा को जून 2023 में मंजूरी दी गई थी। माइक्रोन ने गुजरात में अपने संयंत्र में 2.75 बिलियन डॉलर का निवेश किया। जिसका निर्माण सितंबर 2023 में शुरू हो गया। वैष्णव का कहना है कि माइक्रोन संयंत्र से पहले दिसंबर 2024 में तैयार की जाएगी। आमतौर पर सेमीकंडक्टर इकाइयों के अनुमोदन की तारीख से उत्पादन को शुरू करने में 4 साल लगते हैं। लेकिन हम इसे काफी कम कर देंगे। क्योंकि परमिट प्राप्त करने में आमतौर पर आम तौर पर लगने वाला एक साल कम होकर 100 दिन हो जाएगा।
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