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Dastak India > Home > दुनिया > क्या है Kissing Disease? जिसके चलते एक स्टूडेंट को होना पड़ा अस्पताल में भर्ती, जानें कारण और लक्षण
दुनिया

क्या है Kissing Disease? जिसके चलते एक स्टूडेंट को होना पड़ा अस्पताल में भर्ती, जानें कारण और लक्षण

Dastak Web Team
Last updated: November 23, 2024 12:11 am
Dastak Web Team
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Kissing Disease
Photo Source - Google
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Kissing Disease: हाल ही में ब्रिटिश से एक मामला सामने आया है, एक 22 साल की स्टूडेंट को किसिंग डिसिज़ (चुंबन रोग) हो गया, जिसके कारण उसे लार टपकने की समस्या होने लगी, उस स्टूडेंट का नाम नेवे मैकरैवी है। मैकरैवी का कहना है कि वह अपनी बैचलर डिग्री पूरी करने के बाद अपने दोस्तों के साथ क्लबिंग के लिए गई थी। जहां पर उसने डांस फ्लोर पर किस किया। हांलाकि उसके अगले ही दिन सुबह-सुबह उसे गले में बहुत तेज़ दर्द महसूस हुआ, उसने सोचा की उसके गले में शायद सूजन हो गई है, लेकिन अगले 24 घंटे में उसकी हालत बहुत खराब हो गई। इसके बाद वह इलाज के लिए तुरंत डॉक्टर के पास गई और डॉक्टर ने उसे एंटीबायोटिक्स दी, लेकिन उससे कोई असर नहीं हुआ।

Contents
गले में सूजन और उल्टी की समस्या (Kissing Disease)-बिमारी कैसे होती है ठीक (Kissing Disease)?लक्षण-ग्रंथि संबंधित बुखार के कारण-

गले में सूजन और उल्टी की समस्या (Kissing Disease)-

द् सन की रिपोर्ट के मुताबिक, मैकरैवी ने बताया कि उसे ग्रंथि से संबंधित बुखार (Glandular fever) हो गया, तेज़ बुखार के साथ पसीना, गले में सूजन और उल्टी की समस्या होने लगी। मैकरैवी ने कहा, कि वह इतनी कमज़ोर थी, कि ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। NHS के मुताबिक, Glandular fever जिसे संक्रामक मोनोन्यूक्लिओसिस या मोनो भी कहा जाता है, एक वायरल इंफेक्शन होता है, जिसे किसिंग डिजिज़ या चुंबन रोग भी कहा जाता है। यह बिमारी लार के माध्यम से और गिलास या सिगरेट शेयर करने से भी फैलती है।

बिमारी कैसे होती है ठीक (Kissing Disease)?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये बिमारी सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है, हालांकि युवा और टीनएजर्स में ये ज्यादा देखने को मिलती है। इसके साथ ही डॉक्टर्स का कहना है कि यह बिमारी बिना किसी इलाज के ठीक हो जाती है, लेकिन इसे ठीक होने में कई हफ्ते लग सकते हैं और यह आपको बहुत ज्यादा बिमार महसूस करा सकती है। मेडिकल न्यूज़ की मानें, तो दुनिया भर में 90% से ज्यादा लोग EBV संक्रमण से पीड़ित हैं, जो जरूरी नहीं है कि लक्षण पैदा करें या ग्रंथि संबंधी बुखार का कारण बनें। रूबेला और साइटोमेगालोवायरस संक्रमण जिसे जर्मन खसरा के नाम से भी जाना जाता है, भी ग्रंथि संबंधी बुखार का कारण बन सकता है।

लक्षण-

जबकि टॉक्सोप्लाज़स्मोसिस एक परजीवी संक्रमण है, जो समान लक्षण पैदा कर सकता है। डॉक्टर्स के मुताबिक, ग्रंथि संबंधी बुखार का कोई इलाज नहीं है। इसके लक्षणों की बात की जाए, तो यह आमतौर पर 4 से 6 सप्ताह के अंदर नजर आते हैं। इसमें शरीर और सिर में दर्द, शरीर पर चक्ते आना, तेज बुखार, उल्टी आना, भूख कम लगना, गला खराब होना, आंखों के आसपास सूजन और फुंसी होना, लिंब्स नोट की सूजन, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, थकावट महसूस होना शामिल है। डॉक्टर्स का कहना है, कि कुछ मामलों में EBV लीवर में सूजन पैदा करता है। जिससे हेपेटाइटिस और लीवर फेलियर जैसी समस्या हो सकती हैऔर यह दोनों ही जानलेवा है।

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ग्रंथि संबंधित बुखार के कारण-

हेपेटाइटिस के लक्षणों में पीलिया, शराब के लिए कंट्रोल खोना, बार -बार मलती आना, भूख न लगना शामिल है। डॉक्टर्स के मुताबिक, ज्यादातर EBV संक्रमण बचपन में ही होते हैं, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और वायरस आपके शरीर में मौजूद रहते हैं। यह रक्त कोशिकाओं और गले में निष्क्रिय रहते हैं, हालांकि एंटीबॉडी जीवन भर इम्युनिटी बनाए रखते हैं और ग्रंथि संबंधित बुखार शायद ही कभी दूसरी बार वापस आता है। हालांकि कभी-कभी वायरस सक्रिय हो जाता है, जिससे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। खासकर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति में अगर आप टीनएजर या युवा अवस्था में इस संक्रमण से संक्रमित हुए हैं, तो आपको ग्रंथि बुखार होने की ज्यादा संभावना है।

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TAGGED:EBVGlandular feverKissing DiseaseMonomononucleosisneve mcravyNHSStudent Hospitalize
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