Los Angeles Wildfire: लॉस एंजिल्स काउंटी में इन दिनों जंगल की आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है। 36,386 एकड़ से ज्यादा की जगह में फैली इस आग ने कई जानें ले ली हैं और हजारों लोगों को विस्थापित होने पर मजबूर कर दिया है। अग्निशमन दल दिन-रात एक करके आग को कंट्रोल करने में जुटे हुए हैं, लेकिन सामने आई एक बड़ी समस्या ने सभी को परेशान कर दिया है। गवर्नर गैविन न्यूसम ने CNN को दिए एक इंटरव्यू में बताया, कि स्थानीय संसाधन पूरी तरह से समाप्त हो चुके हैं। फायर हाइड्रेंट खाली हो चुके हैं और इतनी बड़ी आग से निपटने के लिए पर्याप्त पानी नहीं बचा है।
क्यों नहीं हो सकता समुद्री जल का इस्तेमाल? (Los Angeles Wildfire)

पैसिफिक महासागर के इतने करीब होने के बावजूद समुद्री पानी का उपयोग क्यों नहीं किया जा सकता, यह सवाल कई लोगों के मन में आ रहा है। लेकिन इसका जवाब उतना आसान नहीं है जितना दिखता है।
तकनीकी चुनौतियां(Los Angeles Wildfire)-
समुद्री जल में नमक की मात्रा ज़्यादा होने के कारण, यह अग्निशमन उपकरणों को नुकसान पहुंचा सकता है। वाटर पंप और एरियल वाटर-ड्रॉपिंग विमानों को इससे गंभीर क्षति हो सकती है। इसके अलावा, नमकीन पानी ताजे पानी की तुलना में आग को ठंडा करने में कम प्रभावी होता है।
सुरक्षा संबंधी चिंताएं-
फायरफाइटर्स की सुरक्षा भी एक बड़ी चिंता है। नमकीन पानी बिजली का बेहतर संवाहक होता है, जिससे बिजली से जुड़े खतरों का जोखिम बढ़ जाता है।
पर्यावरण पर प्रभाव-

समुद्री जल के उपयोग से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच सकता है। बड़ी मात्रा में नमकीन पानी का प्रयोग करने से:-
- मिट्टी में नमक की मात्रा बढ़ जाती है।
- स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है।
- मिट्टी विषाक्त हो सकती है।
- वनस्पति की वृद्धि बाधित होती है।
- मिट्टी की जल धारण क्षमता कम हो जाती है।
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भविष्य की चुनौतियां और समाधान-
इस मुश्किल हालात ने बेहतर संसाधन प्रबंधन और नए समाधानों की ज़रुरतों पर रोशनी डाली है। जलवायु परिवर्तन के कारण जंगल की आग का खतरा लगातार बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आपदा से निपटने के लिए नई तकनीकों की जरूरत है, जैसे:-
- सैटेलाइट मॉनिटरिंग
- ड्रोन-आधारित फायरफाइटिंग सिस्टम
- बेहतर जल भंडारण और वितरण नेटवर्क
सरकारी एजेंसियों, निजी कंपनियों और पर्यावरण संगठनों के बीच सहयोग से ही इस चुनौती का समाधान संभव है। यह स्थिति हमें याद दिलाती है, कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजना और आधुनिक समाधानों की ज़रुरत है।
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