चंडीगढ़। हाई कोर्ट ने हरियाणा में जाट सहित छह जातियों को सरकारी नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण पर रोक नहीं हटाई। पंजाब एव हरियाणा हाई कोर्ट अब इस मामले की 7 दिसंबर को सुनवाई करेगी। मंगलवार को समय की कमी के कारण इस मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी।
पिछली सुनवाई पर याची पक्ष की ओर से कहा गया था कि यदि कोई समाजिक और शैक्षणिक दोनों रूप से पिछड़े हों तो ही उसे आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है। जिन छह जातियों को आरक्षण का लाभ दिया गया है उनके सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े होने के आंकड़े ही एकत्रित नहीं किए गए। ऐसे में यह आरक्षण गलत है।हरियाणा सरकार ने एक्ट के माध्यम से जाट सहित छह जातियों के लिए के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था।
इसको चुनौती देते हुए मुरारी लाल गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया कि किसी भी स्थिति में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। हरियाणा सरकार ने इन छह जातियों को आरक्षण देने के लिए न तो कोई सर्वे करवाया और न ही सरकार के पास कोई आंकड़े हैं। ऐसी स्थिति में हरियाणा सरकार द्वारा दिया गया आरक्षण लाभ गलत है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हरियाणा सरकार ने केसी गुप्ता आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए आरक्षण दिया है। इसे सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है। हाईकोर्ट ने याची की दलीलों को सुनने के बाद इन छह जातियों को दिए गए आरक्षण लाभ पर रोक लगा दी थी। इसके बाद हरियाणा सरकार और जाट नेताओं ने अपनी दलीलें हाईकोर्ट के समक्ष रखी थी। दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद अब हाईकोर्ट में याची पक्ष की दलीलें सुनी जा रही हैं।